लोहड़ी कब है 2024
मकर संक्रांति 2024 तारीख और समय
makar sankranti 2024 |
मकर संक्रांति 2024 सोमवार, 15 जनवरी को मनाई जाएगी। इस दिन सूर्य देवता धनु राशि से मकर राशि में प्रवेश करेंगे। इस दिन को सूर्य के उत्तरायण होने का प्रतीक माना जाता है। सूर्य के उत्तरायण होने से दिन लंबे और रातें छोटी होने लगती हैं। इस दिन को नए साल के आगमन का भी प्रतीक माना जाता है।
मकर संक्रांति के दिन कई तरह के धार्मिक अनुष्ठान किए जाते हैं। इनमें गंगा, यमुना, सरस्वती जैसी पवित्र नदियों में स्नान करना, सूर्य देवता की पूजा करना, दान करना, तिल और गुड़ से बनी मिठाइयों का प्रसाद बांटना, आदि शामिल हैं।
मकर संक्रांति के अलग अलग नाम -
मकर संक्रांति भारत के कई राज्यों में अलग-अलग नामों से मनाई जाती है। उदाहरण के लिए, उत्तर प्रदेश में इसे उत्तरायण, गुजरात में इसे लोहड़ी, राजस्थान में इसे मकर संक्रांति, और महाराष्ट्र में इसे संक्रांति के नाम से मनाया जाता है।
मध्य प्रदेश में कुछ जगहों पर इसे बुड़की भी कहा जाता है
मकर संक्रांति का त्योहार खुशी, उल्लास, और नई शुरुआत का प्रतीक है। इस दिन लोग एक-दूसरे को बधाई देते हैं और शुभकामनाएं देते हैं।
मकर संक्रांति का अर्थ और महत्व
Makar Sankranti meaning and significance
मकर संक्रांति क्यों मनाई जाती है वैज्ञानिक कारण -
मकर संक्रांति, पूरे भारत में मनाया जाने वाला एक जीवंत हिंदू त्योहार है, जिसका अत्यधिक अर्थ और महत्व है। यह सिर्फ उत्सव का दिन नहीं है, बल्कि खगोलीय, कृषि और आध्यात्मिक पहलुओं का संगम है।
**खगोलीय महत्व:**
* मकर संक्रांति उस दिन को चिह्नित करती है जब सूर्य मकर (मकर) राशि में प्रवेश करता है, जो अशुभ दक्षिणायन (दक्षिण की ओर गति) के अंत और शुभ उत्तरायण (उत्तर की ओर गति) की शुरुआत का प्रतीक है।
* यह बदलाव लंबे दिनों, गर्म मौसम और सर्दियों के धीरे-धीरे ख़त्म होने से जुड़ा है। इसे सौर चक्र में आशा और आशावाद लाने वाले एक महत्वपूर्ण मोड़ के रूप में देखा जाता है।
**कृषि महत्व:**
* मकर संक्रांति भारत के कई हिस्सों में फसल के मौसम के साथ मेल खाती है। यह भूमि की प्रचुरता के प्रति आभार व्यक्त करने और किसानों की कड़ी मेहनत का जश्न मनाने का समय है।
[भारत में फसल काटते किसानों की छवि]
* सूर्य (सूर्य देव) और लक्ष्मी (समृद्धि की देवी) जैसे देवताओं को प्रसाद चढ़ाया जाता है, भविष्य की फसल और समृद्धि के लिए आशीर्वाद मांगा जाता है।
**आध्यात्मिक महत्व:**
* मकर संक्रांति को आध्यात्मिक साधना के लिए एक शुभ दिन माना जाता है। भक्त शुद्धिकरण और पापों से मुक्ति की कामना के लिए गंगा और यमुना जैसी नदियों में पवित्र डुबकी लगाते हैं।
* अच्छे स्वास्थ्य, सुख और समृद्धि के लिए आशीर्वाद मांगते हुए सूर्य को प्रार्थना और प्रसाद दिया जाता है। यह त्योहार भगवान विष्णु के अवतार नराशंस के जन्म का भी प्रतीक है, जो बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है।
**उत्सव:**
* मकर संक्रांति पूरे भारत में बड़े उत्साह के साथ, रीति-रिवाजों और परंपराओं में क्षेत्रीय विविधता के साथ मनाई जाती है।
* कुछ सामान्य प्रथाओं में शामिल हैं:
* जीवन में समृद्धि और मिठास के प्रतीक तिल और गुड़ से बने मीठे व्यंजन बनाएं और बांटें।
* विशेष रूप से गुजरात में पतंग उड़ाना, बढ़ती आशाओं और आकांक्षाओं का प्रतीक है।
* मेलों और सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन, समुदायों को उत्सव के उल्लास में एक साथ लाना।
मकर संक्रांति एक बहुआयामी त्योहार है जो जीवन के विभिन्न पहलुओं को प्रतिबिंबित करता है। यह सूर्य की गति का जश्न मनाने, फसल का सम्मान करने, आध्यात्मिक आशीर्वाद पाने और एक समुदाय के रूप में एक साथ आने का समय है। त्योहार का आशा, कृतज्ञता और खुशी का संदेश इसे सभी के लिए वास्तव में एक विशेष अवसर बनाता है।
2024 की मकर संक्रांति कब है
मकर संक्रांति कब है
मकर संक्रांति आज है या कल
मकर संक्रांति आज हे कि कल
मकर संक्रांति आज है
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मकर संक्रांति किस डेट को है
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मकर संक्रांति 2024 तारीख और समय
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मकर संक्रांति **सोमवार, 15 जनवरी 2024** को है। यहां समय और मुहूर्त का विवरण दिया गया है:
**संक्रांति क्षण:** 2:45 पूर्वाह्न, 15 जनवरी
* यह ठीक उसी क्षण को दर्शाता है जब सूर्य मकर राशि में प्रवेश करता है।
**पुण्य काल मुहूर्त:** सुबह 7:14 बजे से दोपहर 12:36 बजे तक, 15 जनवरी (अवधि: 5 घंटे 22 मिनट)
* यह अनुष्ठान और प्रसाद करने के लिए एक शुभ अवधि मानी जाती है।
**महा पुण्य काल मुहूर्त:** प्रातः 7:14 - प्रातः 9:02, 15 जनवरी (अवधि: 1 घंटा 48 मिनट)
* पवित्र नदियों में डुबकी लगाने या दान करने जैसे विशिष्ट अनुष्ठानों के लिए पुण्य काल मुहूर्त के भीतर यह सबसे शुभ समय माना जाता है।
**सूर्योदय:** प्रातः 7:14 बजे, 15 जनवरी
**ध्यान दें:** ये समय उज्जैन, भारत के लिए विशिष्ट हैं। यदि आप किसी अन्य स्थान पर हैं, तो सटीक समय थोड़ा भिन्न हो सकता है। आप अपने स्थान के लिए सटीक समय जानने के लिए ऑनलाइन पंचांग कैलकुलेटर का उपयोग कर सकते हैं।
मकर संक्रांति आरती
makar sankranti ki aarti
ॐ जय सूर्य भगवान, जय हो दिनकर भगवान।
जगत् के नेत्रस्वरूपा, तुम हो त्रिगुण स्वरूपा।
धरत सब ही तव ध्यान, ॐ जय सूर्य भगवान।।
सारथी अरुण हैं प्रभु तुम, श्वेत कमलधारी।
तुम चार भुजाधारी।।
अश्व हैं सात तुम्हारे, कोटि किरण पसारे।
तुम हो देव महान।।
ऊषाकाल में जब तुम, उदयाचल आते।
सब तब दर्शन पाते।।
फैलाते उजियारा, जागता तब जग सारा।
करे सब तब गुणगान।।
संध्या में भुवनेश्वर अस्ताचल जाते।
गोधन तब घर आते।।
गोधूलि बेला में, हर घर हर आंगन में।
हो तव महिमा गान।।
वेद-पुराण बखाने, धर्म सभी तुम्हें माने।
तुम ही सर्वशक्तिमान।।
पूजन करतीं दिशाएं, पूजे दश दिक्पाल।
तुम भुवनों के प्रतिपाल।।
ऋतुएं तुम्हारी दासी, तुम शाश्वत अविनाशी।
शुभकारी अंशुमान।।
ॐ जय सूर्य भगवान, जय हो दिनकर भगवान।
जगत् के नेत्रस्वरूपा, तुम हो त्रिगुण स्वरूपा।
धरत सब ही तव ध्यान, ॐ जय सूर्य भगवान।।
अर्थ
ओम, सूर्य देवता को जय। जय हो दिनकर भगवान को।
तुम जगत् के नेत्रस्वरूप हो, तुम त्रिगुण स्वरूप हो।
सभी प्राणी तुम्हारा ध्यान करते हैं, जय सूर्य देवता।।
तुम सूर्य देवता के सारथी अरुण हो, तुम्हारे हाथों में सफेद कमल हैं।
तुम्हारी चार भुजाएं हैं।।
तुम्हारे सात घोड़े हैं, जो करोड़ों किरणें फैलाते हैं।
तुम महान देव हो।।
जब तुम प्रातः काल उदय होते हो, तो सभी लोग तुम्हारा दर्शन करते हैं।
तुम प्रकाश फैलाते हो, और पूरा जग जाग उठता है।
सब लोग तब तुम्हारा गुणगान करते हैं।।
शाम को जब तुम अस्त होते हो, तो गोधन घर लौटते हैं।
गोधूलि बेला में, हर घर में तुम्हारी महिमा का गुणगान होता है।।
वेद और पुराण तुम्हारी महिमा का वर्णन करते हैं, सभी धर्म तुम्हारी आराधना करते हैं।
तुम ही सर्वशक्तिमान हो।।
दिशाएं तुम्हारी पूजा करती हैं, दश दिक्पाल तुम्हारी पूजा करते हैं।
तुम भुवनों के रक्षक हो।।
ऋतुएं तुम्हारी दासी हैं, तुम शाश्वत और अविनाशी हो।
तुम शुभकारी हो, सूर्य देवता।।
ओम, सूर्य देवता को जय। जय हो दिनकर भगवान को।
तुम जगत् के नेत्रस्वरूप हो, तुम त्रिगुण स्वरूप हो।
सभी प्राणी तुम्हारा ध्यान करते हैं, जय सूर्य देवता।।
मकर संक्रांति आरती का महत्व
मकर संक्रांति आरती सूर्य देवता की आराधना के लिए की जाती है। यह आरती मकर संक्रांति के दिन विशेष रूप से की जाती है। इस दिन सूर्य देवता का राशि परिवर्तन होता है। यह दिन सूर्य देवता के लिए बहुत ही शुभ माना जाता है। इस दिन सूर्य देवता की पूजा करने से मनुष्य को सुख, समृद्धि और आरोग्य की प्राप्ति होती है।
मकर संक्रांति आरती का पाठ करने से मन को शांति और प्रसन्नता मिलती है। यह आरती मनुष्य के जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार करती है।
मकर संक्रांति किसके घर बैठी है
makar sankranti kis pe aayi hai
मकर संक्रांति किस पर आ रही हे
बुड़की किस पर आ रही हे
मकर संक्रांति 2024 इस बार ये
वाहन - अश्व ( घोड़ा ) पर आ रही हे
बुड़की 2024
इस बार ये
वाहन - अश्व ( घोड़ा ) पर आ रही हे
**मकर संक्रांति की पूजा**
मकर संक्रांति के दिन सूर्य देवता की पूजा का विशेष महत्व होता है। इस दिन लोग सुबह जल्दी उठकर स्नान करते हैं और फिर सूर्य देवता की पूजा करते हैं। पूजा में सूर्य देवता को लाल फूल, लाल चंदन, अक्षत, धूप, दीप, और तिल और गुड़ से बनी मिठाई अर्पित की जाती है। पूजा के बाद आरती की जाती है।
**पूजा की सामग्री**
* तांबे का लोटा
* लाल फूल
* लाल चंदन
* अक्षत
* धूप
* दीप
* तिल
* गुड़
* मिठाई
**पूजा विधि**
* सबसे पहले पूजा स्थल को साफ करें और फिर गंगाजल छिड़कें।
* फिर सूर्य देवता की मूर्ति या तस्वीर को स्थापित करें।
* फिर सूर्य देवता को लाल फूल, लाल चंदन, अक्षत, धूप, दीप, और तिल और गुड़ से बनी मिठाई अर्पित करें।
* फिर सूर्य देवता की आरती करें।
* अंत में, सूर्य देवता से सुख, समृद्धि, और आरोग्य की कामना करें।
**मकर संक्रांति की पूजा का महत्व**
मकर संक्रांति के दिन सूर्य देवता का राशि परिवर्तन होता है। इस दिन सूर्य देवता धनु राशि से मकर राशि में प्रवेश करते हैं। इस दिन को सूर्य के उत्तरायण होने का प्रतीक माना जाता है। सूर्य के उत्तरायण होने से दिन लंबे और रातें छोटी होने लगती हैं। इस दिन को नए साल के आगमन का भी प्रतीक माना जाता है।
सूर्य देवता को जीवन का स्रोत माना जाता है। इसलिए, मकर संक्रांति के दिन सूर्य देवता की पूजा करने से मनुष्य को सुख, समृद्धि, और आरोग्य की प्राप्ति होती है।
**मकर संक्रांति के दिन कुछ अन्य प्रचलित रीति-रिवाज**
* मकर संक्रांति के दिन लोग पवित्र नदियों में स्नान करते हैं। ऐसा माना जाता है कि इस दिन स्नान करने से पापों से मुक्ति मिलती है और पुण्य की प्राप्ति होती है।
* मकर संक्रांति के दिन लोग तिल और गुड़ से बनी मिठाइयों का सेवन करते हैं। ऐसा माना जाता है कि तिल और गुड़ से बनी मिठाइयां सुख, समृद्धि, और आरोग्य का प्रतीक हैं।
* मकर संक्रांति के दिन लोग एक-दूसरे को तिल और गुड़ से बनी मिठाइयों का प्रसाद बांटते हैं। ऐसा माना जाता है कि इससे दोनों पक्षों के बीच प्रेम और सौहार्द बढ़ता है।
मकर संक्रांति का त्योहार खुशी, उल्लास, और नई शुरुआत का प्रतीक है। यह त्योहार लोगों को एक-दूसरे के करीब लाता है और उन्हें नई ऊर्जा और प्रेरणा देता है।
मकर संक्रांति के दिन कई तरह के धार्मिक अनुष्ठान किए जाते हैं। इनमें गंगा, यमुना, सरस्वती जैसी पवित्र नदियों में स्नान करना, सूर्य देवता की पूजा करना, दान करना, तिल और गुड़ से बनी मिठाइयों का प्रसाद बांटना, आदि शामिल हैं।
मकर संक्रांति के अलग अलग नाम -
मकर संक्रांति भारत के कई राज्यों में अलग-अलग नामों से मनाई जाती है। उदाहरण के लिए, उत्तर प्रदेश में इसे उत्तरायण, गुजरात में इसे लोहड़ी, राजस्थान में इसे मकर संक्रांति, और महाराष्ट्र में इसे संक्रांति के नाम से मनाया जाता है।
मध्य प्रदेश में कुछ जगहों पर इसे बुड़की भी कहा जाता है
मकर संक्रांति का त्योहार खुशी, उल्लास, और नई शुरुआत का प्रतीक है। इस दिन लोग एक-दूसरे को बधाई देते हैं और शुभकामनाएं देते हैं।
मकर संक्रांति का अर्थ और महत्व
Makar Sankranti meaning and significance
मकर संक्रांति क्यों मनाई जाती है वैज्ञानिक कारण -
मकर संक्रांति, पूरे भारत में मनाया जाने वाला एक जीवंत हिंदू त्योहार है, जिसका अत्यधिक अर्थ और महत्व है। यह सिर्फ उत्सव का दिन नहीं है, बल्कि खगोलीय, कृषि और आध्यात्मिक पहलुओं का संगम है।
**खगोलीय महत्व:**
* मकर संक्रांति उस दिन को चिह्नित करती है जब सूर्य मकर (मकर) राशि में प्रवेश करता है, जो अशुभ दक्षिणायन (दक्षिण की ओर गति) के अंत और शुभ उत्तरायण (उत्तर की ओर गति) की शुरुआत का प्रतीक है।
* यह बदलाव लंबे दिनों, गर्म मौसम और सर्दियों के धीरे-धीरे ख़त्म होने से जुड़ा है। इसे सौर चक्र में आशा और आशावाद लाने वाले एक महत्वपूर्ण मोड़ के रूप में देखा जाता है।
**कृषि महत्व:**
* मकर संक्रांति भारत के कई हिस्सों में फसल के मौसम के साथ मेल खाती है। यह भूमि की प्रचुरता के प्रति आभार व्यक्त करने और किसानों की कड़ी मेहनत का जश्न मनाने का समय है।
मकर संक्रांति 2024 तारीख |
[भारत में फसल काटते किसानों की छवि]
* सूर्य (सूर्य देव) और लक्ष्मी (समृद्धि की देवी) जैसे देवताओं को प्रसाद चढ़ाया जाता है, भविष्य की फसल और समृद्धि के लिए आशीर्वाद मांगा जाता है।
**आध्यात्मिक महत्व:**
* मकर संक्रांति को आध्यात्मिक साधना के लिए एक शुभ दिन माना जाता है। भक्त शुद्धिकरण और पापों से मुक्ति की कामना के लिए गंगा और यमुना जैसी नदियों में पवित्र डुबकी लगाते हैं।
* अच्छे स्वास्थ्य, सुख और समृद्धि के लिए आशीर्वाद मांगते हुए सूर्य को प्रार्थना और प्रसाद दिया जाता है। यह त्योहार भगवान विष्णु के अवतार नराशंस के जन्म का भी प्रतीक है, जो बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है।
**उत्सव:**
* मकर संक्रांति पूरे भारत में बड़े उत्साह के साथ, रीति-रिवाजों और परंपराओं में क्षेत्रीय विविधता के साथ मनाई जाती है।
* कुछ सामान्य प्रथाओं में शामिल हैं:
* जीवन में समृद्धि और मिठास के प्रतीक तिल और गुड़ से बने मीठे व्यंजन बनाएं और बांटें।
* विशेष रूप से गुजरात में पतंग उड़ाना, बढ़ती आशाओं और आकांक्षाओं का प्रतीक है।
* मेलों और सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन, समुदायों को उत्सव के उल्लास में एक साथ लाना।
मकर संक्रांति एक बहुआयामी त्योहार है जो जीवन के विभिन्न पहलुओं को प्रतिबिंबित करता है। यह सूर्य की गति का जश्न मनाने, फसल का सम्मान करने, आध्यात्मिक आशीर्वाद पाने और एक समुदाय के रूप में एक साथ आने का समय है। त्योहार का आशा, कृतज्ञता और खुशी का संदेश इसे सभी के लिए वास्तव में एक विशेष अवसर बनाता है।
2024 की मकर संक्रांति कब है
मकर संक्रांति कब है
मकर संक्रांति आज है या कल
मकर संक्रांति आज हे कि कल
मकर संक्रांति आज है
aaj makar sankranti kab tak hai
aaj ka makar sankranti
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मकर संक्रांति किस डेट को है
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मकर संक्रांति 2024 तारीख और समय
aaj makar sankranti hai
aaj makar sankranti hai kya
मकर संक्रांति **सोमवार, 15 जनवरी 2024** को है। यहां समय और मुहूर्त का विवरण दिया गया है:
**संक्रांति क्षण:** 2:45 पूर्वाह्न, 15 जनवरी
* यह ठीक उसी क्षण को दर्शाता है जब सूर्य मकर राशि में प्रवेश करता है।
**पुण्य काल मुहूर्त:** सुबह 7:14 बजे से दोपहर 12:36 बजे तक, 15 जनवरी (अवधि: 5 घंटे 22 मिनट)
* यह अनुष्ठान और प्रसाद करने के लिए एक शुभ अवधि मानी जाती है।
**महा पुण्य काल मुहूर्त:** प्रातः 7:14 - प्रातः 9:02, 15 जनवरी (अवधि: 1 घंटा 48 मिनट)
* पवित्र नदियों में डुबकी लगाने या दान करने जैसे विशिष्ट अनुष्ठानों के लिए पुण्य काल मुहूर्त के भीतर यह सबसे शुभ समय माना जाता है।
**सूर्योदय:** प्रातः 7:14 बजे, 15 जनवरी
**ध्यान दें:** ये समय उज्जैन, भारत के लिए विशिष्ट हैं। यदि आप किसी अन्य स्थान पर हैं, तो सटीक समय थोड़ा भिन्न हो सकता है। आप अपने स्थान के लिए सटीक समय जानने के लिए ऑनलाइन पंचांग कैलकुलेटर का उपयोग कर सकते हैं।
मकर संक्रांति आरती
makar sankranti ki aarti
ॐ जय सूर्य भगवान, जय हो दिनकर भगवान।
जगत् के नेत्रस्वरूपा, तुम हो त्रिगुण स्वरूपा।
धरत सब ही तव ध्यान, ॐ जय सूर्य भगवान।।
सारथी अरुण हैं प्रभु तुम, श्वेत कमलधारी।
तुम चार भुजाधारी।।
अश्व हैं सात तुम्हारे, कोटि किरण पसारे।
तुम हो देव महान।।
ऊषाकाल में जब तुम, उदयाचल आते।
सब तब दर्शन पाते।।
फैलाते उजियारा, जागता तब जग सारा।
करे सब तब गुणगान।।
संध्या में भुवनेश्वर अस्ताचल जाते।
गोधन तब घर आते।।
गोधूलि बेला में, हर घर हर आंगन में।
हो तव महिमा गान।।
वेद-पुराण बखाने, धर्म सभी तुम्हें माने।
तुम ही सर्वशक्तिमान।।
पूजन करतीं दिशाएं, पूजे दश दिक्पाल।
तुम भुवनों के प्रतिपाल।।
ऋतुएं तुम्हारी दासी, तुम शाश्वत अविनाशी।
शुभकारी अंशुमान।।
ॐ जय सूर्य भगवान, जय हो दिनकर भगवान।
जगत् के नेत्रस्वरूपा, तुम हो त्रिगुण स्वरूपा।
धरत सब ही तव ध्यान, ॐ जय सूर्य भगवान।।
अर्थ
ओम, सूर्य देवता को जय। जय हो दिनकर भगवान को।
तुम जगत् के नेत्रस्वरूप हो, तुम त्रिगुण स्वरूप हो।
सभी प्राणी तुम्हारा ध्यान करते हैं, जय सूर्य देवता।।
तुम सूर्य देवता के सारथी अरुण हो, तुम्हारे हाथों में सफेद कमल हैं।
तुम्हारी चार भुजाएं हैं।।
तुम्हारे सात घोड़े हैं, जो करोड़ों किरणें फैलाते हैं।
तुम महान देव हो।।
जब तुम प्रातः काल उदय होते हो, तो सभी लोग तुम्हारा दर्शन करते हैं।
तुम प्रकाश फैलाते हो, और पूरा जग जाग उठता है।
सब लोग तब तुम्हारा गुणगान करते हैं।।
शाम को जब तुम अस्त होते हो, तो गोधन घर लौटते हैं।
गोधूलि बेला में, हर घर में तुम्हारी महिमा का गुणगान होता है।।
वेद और पुराण तुम्हारी महिमा का वर्णन करते हैं, सभी धर्म तुम्हारी आराधना करते हैं।
तुम ही सर्वशक्तिमान हो।।
दिशाएं तुम्हारी पूजा करती हैं, दश दिक्पाल तुम्हारी पूजा करते हैं।
तुम भुवनों के रक्षक हो।।
ऋतुएं तुम्हारी दासी हैं, तुम शाश्वत और अविनाशी हो।
तुम शुभकारी हो, सूर्य देवता।।
ओम, सूर्य देवता को जय। जय हो दिनकर भगवान को।
तुम जगत् के नेत्रस्वरूप हो, तुम त्रिगुण स्वरूप हो।
सभी प्राणी तुम्हारा ध्यान करते हैं, जय सूर्य देवता।।
मकर संक्रांति आरती का महत्व
मकर संक्रांति आरती सूर्य देवता की आराधना के लिए की जाती है। यह आरती मकर संक्रांति के दिन विशेष रूप से की जाती है। इस दिन सूर्य देवता का राशि परिवर्तन होता है। यह दिन सूर्य देवता के लिए बहुत ही शुभ माना जाता है। इस दिन सूर्य देवता की पूजा करने से मनुष्य को सुख, समृद्धि और आरोग्य की प्राप्ति होती है।
मकर संक्रांति आरती का पाठ करने से मन को शांति और प्रसन्नता मिलती है। यह आरती मनुष्य के जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार करती है।
मकर संक्रांति किसके घर बैठी है
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मकर संक्रांति किस पर आ रही हे
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बुड़की 2024
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वाहन - अश्व ( घोड़ा ) पर आ रही हे
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**मकर संक्रांति की पूजा**
मकर संक्रांति के दिन सूर्य देवता की पूजा का विशेष महत्व होता है। इस दिन लोग सुबह जल्दी उठकर स्नान करते हैं और फिर सूर्य देवता की पूजा करते हैं। पूजा में सूर्य देवता को लाल फूल, लाल चंदन, अक्षत, धूप, दीप, और तिल और गुड़ से बनी मिठाई अर्पित की जाती है। पूजा के बाद आरती की जाती है।
**पूजा की सामग्री**
* तांबे का लोटा
* लाल फूल
* लाल चंदन
* अक्षत
* धूप
* दीप
* तिल
* गुड़
* मिठाई
**पूजा विधि**
* सबसे पहले पूजा स्थल को साफ करें और फिर गंगाजल छिड़कें।
* फिर सूर्य देवता की मूर्ति या तस्वीर को स्थापित करें।
* फिर सूर्य देवता को लाल फूल, लाल चंदन, अक्षत, धूप, दीप, और तिल और गुड़ से बनी मिठाई अर्पित करें।
* फिर सूर्य देवता की आरती करें।
* अंत में, सूर्य देवता से सुख, समृद्धि, और आरोग्य की कामना करें।
**मकर संक्रांति की पूजा का महत्व**
मकर संक्रांति के दिन सूर्य देवता का राशि परिवर्तन होता है। इस दिन सूर्य देवता धनु राशि से मकर राशि में प्रवेश करते हैं। इस दिन को सूर्य के उत्तरायण होने का प्रतीक माना जाता है। सूर्य के उत्तरायण होने से दिन लंबे और रातें छोटी होने लगती हैं। इस दिन को नए साल के आगमन का भी प्रतीक माना जाता है।
सूर्य देवता को जीवन का स्रोत माना जाता है। इसलिए, मकर संक्रांति के दिन सूर्य देवता की पूजा करने से मनुष्य को सुख, समृद्धि, और आरोग्य की प्राप्ति होती है।
**मकर संक्रांति के दिन कुछ अन्य प्रचलित रीति-रिवाज**
* मकर संक्रांति के दिन लोग पवित्र नदियों में स्नान करते हैं। ऐसा माना जाता है कि इस दिन स्नान करने से पापों से मुक्ति मिलती है और पुण्य की प्राप्ति होती है।
* मकर संक्रांति के दिन लोग तिल और गुड़ से बनी मिठाइयों का सेवन करते हैं। ऐसा माना जाता है कि तिल और गुड़ से बनी मिठाइयां सुख, समृद्धि, और आरोग्य का प्रतीक हैं।
* मकर संक्रांति के दिन लोग एक-दूसरे को तिल और गुड़ से बनी मिठाइयों का प्रसाद बांटते हैं। ऐसा माना जाता है कि इससे दोनों पक्षों के बीच प्रेम और सौहार्द बढ़ता है।
मकर संक्रांति का त्योहार खुशी, उल्लास, और नई शुरुआत का प्रतीक है। यह त्योहार लोगों को एक-दूसरे के करीब लाता है और उन्हें नई ऊर्जा और प्रेरणा देता है।
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