गणगौर त्यौहार का महत्व, पूजा विधि, व कथा
Importance of Gangaur festival, method of worship, and story
गणगौर एक रंगीन और महत्वपूर्ण त्योहार है जो मुख्य रूप से भारतीय राज्य राजस्थान और गुजरात, मध्य प्रदेश और पश्चिम बंगाल जैसे पड़ोसी राज्यों के कुछ हिस्सों में मनाया जाता है। यह देवी गौरी, देवी पार्वती के अवतार और भगवान शिव की पूजा के लिए समर्पित है। यह त्यौहार विवाहित महिलाओं और युवा लड़कियों द्वारा बड़े उत्साह और उमंग के साथ मनाया जाता है, जो अपने पतियों और भावी पतियों के लिए वैवाहिक आनंद, स्वास्थ्य और लंबी उम्र की प्रार्थना करती हैं।
गणगौर महोत्सव का महत्व:
यह त्यौहार राजस्थानी संस्कृति में अत्यधिक महत्व रखता है और इसे क्षेत्र के सबसे महत्वपूर्ण और पारंपरिक त्यौहारों में से एक माना जाता है। यह राजस्थान की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत और रीति-रिवाजों को दर्शाता है। गणगौर भगवान शिव और देवी पार्वती के बीच दिव्य प्रेम का सम्मान करने के साथ-साथ विवाहित जीवन और नारीत्व के सार का जश्न मनाने के लिए मनाया जाता है।
पूजा विधि:
गणगौर उत्सव के दौरान देवी गौरी की पूजा में विभिन्न अनुष्ठान शामिल होते हैं:
गौरी पूजा: महिलाएं और लड़कियां देवी गौरी और भगवान शिव की छोटी मिट्टी की मूर्तियों या चित्रों को सजाती हैं। इन मूर्तियों को सुंदर कपड़ों, आभूषणों और मेहंदी डिजाइनों से सजाया गया है। मूर्तियों को एक विशेष मंच या सजावटी लकड़ी की सीट पर रखा जाता है।
जुलूस: पारंपरिक पोशाक पहने महिलाओं और लड़कियों का जुलूस, देवी गौरी की खूबसूरती से सजाई गई मूर्तियों को लेकर, उत्सव का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। जुलूस पारंपरिक गीतों, नृत्यों और संगीत के साथ शहर या गाँव की सड़कों से होकर गुजरता है।
प्रसाद और प्रार्थना: महिलाएं देवी को फूल, फल और अन्य पारंपरिक वस्तुएं चढ़ाती हैं और अपने पतियों या भावी पतियों की भलाई और लंबी उम्र के लिए प्रार्थना करती हैं। वे पूजा के दौरान गौरी और शिव को समर्पित पारंपरिक लोक गीत और भजन गाते हैं।
विसर्जन: त्योहार के अंतिम दिन, देवी गौरी और भगवान शिव की मिट्टी की मूर्तियों को विसर्जन के लिए एक जल निकाय (जैसे नदी या झील) में ले जाया जाता है। यह उत्सव के दिनों के बाद दिव्य जोड़े के अपने निवास स्थान पर प्रस्थान का प्रतीक है।
गणगौर महोत्सव की कहानी:
त्योहार की उत्पत्ति देवी पार्वती (गौरी) और भगवान शिव के बीच दिव्य प्रेम की प्राचीन कहानी में निहित है। पौराणिक कथा के अनुसार, पार्वती शिव से अत्यधिक प्रेम करती थीं और उनकी पत्नी बनना चाहती थीं। उन्होंने शिव का आशीर्वाद पाने के लिए घोर तपस्या की और कठोर व्रत रखा। उनकी भक्ति से शिव प्रभावित हुए और अंततः उन्होंने उन्हें अपनी पत्नी के रूप में स्वीकार कर लिया। गणगौर का त्यौहार दिव्य जोड़े के बीच इस प्रेम और भक्ति का जश्न मनाता है।
गणगौर गीत (घूमर):
गणगौर उत्सव से जुड़े सबसे लोकप्रिय और प्रसिद्ध गीतों में से एक है घूमर नृत्य गीत। घूमर नृत्य महिलाओं द्वारा एक घेरे में संगीत की लय पर खूबसूरती से चलते हुए किया जाता है। यह गीत त्योहार की खुशी और खुशी को व्यक्त करता है और नृत्य में भाग लेने वाली महिलाओं की सुंदरता का जश्न मनाता है।
कृपया ध्यान दें कि गणगौर त्योहार के साथ विभिन्न क्षेत्रीय विविधताएं और रीति-रिवाज जुड़े हुए हैं, और उत्सव राजस्थान और पड़ोसी राज्यों के विभिन्न हिस्सों में थोड़ा भिन्न हो सकता है।